जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बर्बर आतंकी हमला
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम की वादियां उस समय चीख उठीं जब बैसरन घाटी में अचानक आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। यह हमला हाल के वर्षों में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए सबसे खतरनाक आतंकवादी हमलों में से एक माना जा रहा है। हमले में पांच पर्यटकों की मौत हो गई जबकि आठ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
बैसरन घाटी में हुआ हमला – पर्यटक बने निशाना
बैसरन, पहलगाम का एक लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन है जिसे “मिनी स्विट्जरलैंड” भी कहा जाता है। मंगलवार को जैसे ही पर्यटकों का एक समूह वहां की हरियाली और खूबसूरती का आनंद ले रहा था, तभी छिपे हुए आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस अप्रत्याशित हमले में कुछ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि बाकी को स्थानीय लोगों और सुरक्षाबलों की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया।
दिल दहला देने वाले वीडियो और स्थानीय दहशत
हमले के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए जिसमें लोग चीखते-चिल्लाते नजर आ रहे हैं। गोलीबारी के बाद का दृश्य बेहद दर्दनाक और भयावह था। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह हमला सुनियोजित था और पर्यटकों को ही निशाना बनाया गया। लोग अब भी डर के साए में हैं और पर्यटन उद्योग से जुड़े कई लोग इस घटना से गहरा सदमा झेल रहे हैं।
सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई और सर्च ऑपरेशन
हमले के तुरंत बाद सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने इलाके को घेर लिया और सर्च ऑपरेशन शुरू किया। आतंकियों की तलाश के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावर दो से तीन की संख्या में थे और वे पहले से ही बैसरन क्षेत्र में छिपे हुए थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा है कि यह एक आतंकी घटना है और दोषियों को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।
केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि यह हमला देश की एकता और अखंडता पर हमला है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की और घायल पर्यटकों का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया।
पर्यटकों पर हमले का असर और सुरक्षा को लेकर चिंता
कश्मीर घाटी में सुरक्षा को लेकर हमेशा से चिंता रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों पर हमलों की घटनाएं कम हो गई थीं। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से केंद्र सरकार ने क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक उपाय किए थे। लेकिन यह हमला दिखाता है कि आतंकवादियों का नेटवर्क अब भी सक्रिय है और वह देश की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
इस हमले से न केवल पर्यटक बल्कि स्थानीय लोग भी डरे हुए हैं। पर्यटन उद्योग पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जो जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। होटल व्यवसाय, गाइड, टैक्सी सेवाएं और हस्तशिल्प से जुड़े हजारों लोगों की आजीविका पर्यटन पर निर्भर करती है।
पिछली घटनाएं और अब की गंभीरता
हालांकि, कश्मीर में पर्यटकों पर हमले विरले होते हैं, लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है। पिछले साल जून में एक तीर्थयात्रियों की बस पर हुए हमले में नौ लोग मारे गए थे। उस घटना के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया था, लेकिन इस बार बैसरन जैसी खुली और उंची घाटी में हुआ हमला यह दिखाता है कि आतंकवादी नए तरीके अपना रहे हैं।
यह हमला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यह लोकसभा चुनावों के बीच हुआ है, जब देशभर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होती है। ऐसे में आतंकी घटना होना यह बताता है कि कुछ स्लीपर सेल या आतंकी संगठन चुनावी माहौल का फायदा उठाकर हिंसा फैलाना चाहते हैं।
मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
टीवी चैनलों और समाचार वेबसाइटों पर इस हमले की कवरेज जोरों पर है। सोशल मीडिया पर लोग मृतकों के लिए संवेदना जता रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। देशभर में इस घटना को लेकर गुस्सा है और लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर पर्यटकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है?
निष्कर्ष: अब और अधिक सतर्कता की जरूरत
पहलगाम में हुआ यह आतंकी हमला सिर्फ एक घटना नहीं है, यह एक चेतावनी है कि जम्मू-कश्मीर में हालात अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को चाहिए कि वे टूरिस्ट स्पॉट्स की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और आतंकवादियों के नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की योजना बनाएं।
पर्यटन से जुड़े लोगों और पर्यटकों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। जब तक पूरे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बहाल नहीं होती, तब तक ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति से इनकार नहीं किया जा सकता।