[यहां देखें] हैदराबाद में बड़ा खुलासा: महेश बाबू का नाम आया मनी लॉन्ड्रिंग केस में

तेलुगू सिनेमा के सुपरस्टार महेश बाबू को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 50 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ के लिए समन जारी किया है। यह मामला हैदराबाद की कुछ प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों – साई सूर्य डेवलपर्स और सुराणा ग्रुप से जुड़ा हुआ है। ED की इस जांच में कई निवेशकों की शिकायतें और करोड़ों रुपये की हेराफेरी सामने आई है। महेश बाबू को इस केस में गवाह के रूप में तलब किया गया है, क्योंकि उन्होंने एक विवादित प्रोजेक्ट 'ग्रीन मीडोज़' का ब्रांड एंबेसडर के तौर पर प्रचार किया था।


'ग्रीन मीडोज़' प्रोजेक्ट से जुड़ा विवाद: निवेशकों के साथ धोखाधड़ी



साई सूर्य डेवलपर्स और सुराणा ग्रुप द्वारा शुरू किया गया 'ग्रीन मीडोज़' रियल एस्टेट प्रोजेक्ट अब विवादों में घिर गया है। अप्रैल 2021 में इस प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले कई लोगों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने उन्हें भूखंड देने का झूठा वादा किया और उनकी लगभग 3 करोड़ रुपये की रकम फंसा दी। शादनगर क्षेत्र में स्थित यह प्रोजेक्ट एक हाई-प्रोफाइल योजना के रूप में प्रचारित किया गया था, जिसका चेहरा खुद महेश बाबू थे। हालांकि, समय पर प्लॉट न मिलने और ठोस दस्तावेज न देने पर निवेशकों ने पुलिस और ED से शिकायत की।


ED की बड़ी कार्रवाई: हैदराबाद में छापेमारी और जब्ती

प्रवर्तन निदेशालय ने 16 अप्रैल 2025 को हैदराबाद के कई ठिकानों पर छापेमारी की। इन ठिकानों में सैकंदराबाद, जुबली हिल्स और बोवेनपल्ली के इलाके शामिल थे, जो साई सूर्य डेवलपर्स और सुराणा ग्रुप की संपत्तियों से जुड़े हैं। ED की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि लगभग 50 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है। इन कंपनियों ने जाली दस्तावेजों और फर्जी प्लॉट स्कीम्स के जरिये लोगों से मोटी रकम वसूली और फिर उन्हें प्लॉट नहीं दिए।


महेश बाबू की भूमिका: गवाह के रूप में पूछताछ

अब सवाल उठता है कि महेश बाबू इस केस में कैसे शामिल हैं? दरअसल, उन्होंने 'ग्रीन मीडोज़' प्रोजेक्ट का प्रचार किया था और कंपनी के विज्ञापनों में भी नजर आए थे। ED का कहना है कि महेश बाबू पर फिलहाल किसी तरह का आरोप नहीं है, लेकिन उन्हें पूछताछ के लिए 28 अप्रैल 2025 को बुलाया गया है। उनसे पूछा जाएगा कि उन्हें कंपनी से कितनी राशि मिली, क्या उन्होंने कंपनी की पृष्ठभूमि की जांच की थी और उनके अनुबंध की शर्तें क्या थीं।


प्रचार के नाम पर सेलिब्रिटी की जवाबदेही

यह मामला इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि जब कोई सेलिब्रिटी किसी प्रोडक्ट या प्रोजेक्ट का प्रचार करता है, तो उसकी जिम्मेदारी भी बनती है। यदि उस प्रचार से आम जनता को नुकसान होता है, तो जांच एजेंसियां उस सेलिब्रिटी से भी सवाल पूछ सकती हैं। ED यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या महेश बाबू को कंपनी की अवैध गतिविधियों की जानकारी थी या नहीं।


आगे की कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया

ED इस मामले में मनी ट्रेल यानी धन के लेन-देन की कड़ी से जुड़ी सभी जानकारियाँ जुटा रहा है। जिन निवेशकों ने पैसा लगाया है, उनके बयान भी लिए जा रहे हैं। अगर जांच में कोई सेलिब्रिटी, बिजनेसमैन या अन्य व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो उनके खिलाफ PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। महेश बाबू का बयान इस केस में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे यह पता चल सकेगा कि उनके प्रचार का असर निवेशकों पर कितना पड़ा और क्या यह प्रचार जानबूझकर गलत जानकारी पर आधारित था।


मीडिया और जनता की नजरें

इस केस के सामने आने के बाद महेश बाबू के फैंस और आम जनता में काफी हलचल मच गई है। सोशल मीडिया पर #MaheshBabu और #EDSummons जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। हालांकि अभिनेता की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। अगर ED की जांच में उनका नाम साफ होता है, तो यह उनके लिए राहत की बात होगी। लेकिन अगर जांच में कुछ और तथ्य सामने आते हैं, तो यह उनके करियर के लिए एक बड़ा झटका भी हो सकता है।


निष्कर्ष: क्या यह मामला सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट की नई परिभाषा तय करेगा?

महेश बाबू को समन भेजा जाना इस बात का संकेत है कि अब जांच एजेंसियां केवल कंपनियों और बिजनेसमैन पर ही नहीं, बल्कि उनसे जुड़े ब्रांड एंबेसडर्स पर भी सवाल उठा सकती हैं। ऐसे मामलों में सेलिब्रिटी की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी दोनों बनती है। आने वाले दिनों में ED की जांच से यह तय होगा कि महेश बाबू की भूमिका केवल प्रचार तक सीमित थी या वह इस पूरे घोटाले के बारे में पहले से कुछ जानते थे।