भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबित करने पर पाकिस्तान की आपातकालीन बैठक – जानिए क्या है पूरा मामला

 भारत के ऐतिहासिक फैसले के बाद पाकिस्तान में हड़कंप

23 अप्रैल 2025 को भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ वर्ष 1960 में हुई ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इस कड़े कदम के बाद पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य व्यवस्था में हलचल मच गई है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की आपातकालीन बैठक बुलाई है, जिसकी अध्यक्षता वे स्वयं करेंगे। इस बैठक में भारत के निर्णय के बाद उत्पन्न हुए हालातों की समीक्षा की जाएगी।

जनरल आसिम मुनीर की कजाकिस्तान यात्रा रद्द, लौटे इस्लामाबाद



सुरक्षा स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने अपनी कजाकिस्तान की आधिकारिक यात्रा को बीच में ही छोड़कर इस्लामाबाद लौटने का फैसला किया है। उनके जल्दी लौटने से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की सैन्य इकाई भी इस स्थिति को अत्यंत गंभीरता से ले रही है और रणनीतिक प्रतिक्रिया की तैयारी में जुट गई है।

भारत के फैसले के पीछे की पृष्ठभूमि
भारत ने यह निर्णय उस आतंकी हमले के बाद लिया जिसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई थी। हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस हमले की जांच के दौरान पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों की भूमिका की ओर इशारा किया है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा कैबिनेट की आपात बैठक में सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया गया।

पाकिस्तान की रणनीतिक प्रतिक्रिया की तैयारी
पाकिस्तान सरकार इस फैसले को भारत की आक्रामक नीति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मान रही है। प्रधानमंत्री शरीफ की अध्यक्षता में हो रही NSC बैठक में विदेश मंत्री, रक्षामंत्री, सेना प्रमुख, खुफिया एजेंसियों के प्रमुख और उच्च स्तरीय अधिकारी शामिल होंगे। बैठक का उद्देश्य भारत के कदम के जवाब में कूटनीतिक और सैन्य रणनीति तैयार करना है।

भारत ने किए और भी सख्त कदम
भारत ने सिर्फ सिंधु जल संधि को निलंबित नहीं किया, बल्कि वाघा-अटारी सीमा को बंद कर दिया है, पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए वीज़ा रद्द कर दिए हैं और पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य प्रतिनिधियों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। भारत का रुख अब स्पष्ट रूप से आक्रामक और राष्ट्रहित में कड़ा दिखाई दे रहा है।

क्या यह दो देशों के बीच युद्ध की शुरुआत है?
वर्तमान स्थिति भले ही युद्ध जैसी न हो, लेकिन दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में बेहद तनाव आ चुका है। भारत का यह निर्णय स्पष्ट संदेश है कि वह अब आतंकी हमलों के जवाब में सिर्फ बयानबाजी नहीं करेगा, बल्कि कड़े और ठोस कदम उठाएगा। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया इस बात पर निर्भर करेगी कि वह भविष्य में आतंकवाद पर लगाम लगाता है या नहीं।

सिंधु जल संधि का महत्व और अब उसका निलंबन
1960 में हुई यह संधि अब तक भारत-पाकिस्तान संबंधों की नींव मानी जाती थी। इसमें भारत को रावी, ब्यास और सतलज नदियों के जल का अधिकार था, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान को दिए गए थे। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है, खासकर पंजाब और सिंध क्षेत्रों में।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निगाहें टिकीं
इस घटनाक्रम पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजर है। अमेरिका, रूस, चीन और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना नहीं छोड़ता, तब तक सामान्य कूटनीतिक संबंध मुमकिन नहीं हैं।

निष्कर्ष: एक निर्णायक मोड़ पर भारत-पाक संबंध
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करना सिर्फ एक तकनीकी या कूटनीतिक कदम नहीं है, बल्कि यह भारत की नई नीति का संकेत है – “आतंक के बदले कार्रवाई।” पाकिस्तान की आपात बैठक इस बात का प्रमाण है कि भारत के इस फैसले ने वहां गहरी चिंता पैदा कर दी है। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संबंधों में और भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।